सत्य
सत्य
सत्य ईश्वर का आसन है।
सत्य ईश्वर है।
सत्य की ही जीत होती है।
सत्य जीवन का मूल नियम है।
सत्य साधन और अंतिम लक्ष्य है।
सत्य स्वतंत्रता का नियम है,
असत्य दासता और मृत्यु का नियम है।
सत्य न्याय है, निष्पक्ष खेल है,
नैतिकता के मूलभूत नियमों का पालन है।
पवित्रता और सच्चाई दो ऐसे जुड़वां कारक हैं
जो आपके भीतर सोई हुई दिव्यता को प्रकट
और जागृत करते हैं और आपको पूर्णता
की ओर ले जाते हैं।
ईश्वर-प्राप्ति के मंदिर में सत्यवादिता पहला स्तंभ है।
सत्य परमेश्वर के राज्य का प्रवेश द्वार है।
सत्य सीढ़ी के समान है।
यह आपको अमर आनंद के साम्राज्य की
ओर ले जाता है।
सत्य बोलना योगी की सबसे बड़ी योग्यता है।
सत्य गुणों की रानी है।
सत्य सर्वोच्च गुण है।
सत्य वेदों का सार है।
जुनून पर नियंत्रण सत्य का सार है।
आत्म-त्याग या सांसारिक भोगों से बचना
आत्म-नियंत्रण का सार है।
गुणवान व्यक्ति में ये गुण सदैव विद्यमान रहते हैं।
सत्य धार्मिकता है। धार्मिकता प्रकाश है,
और प्रकाश आनंद है।
अहिंसा, ब्रह्मचर्य, पवित्रता, न्याय,
सद्भाव, क्षमा, शांति सत्य के रूप हैं।
निष्पक्षता, आत्म-संयम, विनय, सहनशीलता,
अच्छाई, त्याग, ध्यान, मर्यादा, धैर्य, करुणा, अहिंसा
सत्य के विभिन्न रूप हैं।
उपरोक्त सभी गुण, हालांकि अलग-अलग
प्रतीत होते हैं, लेकिन एक और एक ही रूप है,
अर्थात् सत्य। ये सभी सत्य को धारण करते हैं
और उसे मजबूत करते हैं।
जब सत्य के मार्ग पर कदम रखा जाता है,
तो बाकी सब कुछ भी हो जाता है।
जब जड़ को सींचा जाता है तो
सभी शाखाओं को अपने आप सींचा जाता है।
