स्त्री होना मत भूलो
स्त्री होना मत भूलो
"तुमको श्रृंगार की क्या दरकार ,
तुम्हारा यौवन ही है महाश्रृंगार "
पति ने मधुरिमा को सुरुचिपूर्वक श्रृंगार करते हुए
शरारती अंदाज़ में टोका तो मधुरिमा ने भी उसी
नाटकीय अंदाज़ में जवाब दिया,
"हम स्त्रियों को प्रतिदिन
करना पड़ता है श्रृंगार,
कहीं अन्य स्त्री पर आपका
दिल ना आ जाए मेरे भरतार "
प्रेम के इस खूबसूरत जुगलबंदी के बाद दोनों
एक दूसरे की आँखों में देखते हुए खोने ही वाले थे कि...
रसोई से सास की आवाज़ आई,
"आहा, तुम दोनों में ज़ब है इतना प्यार
तो भला रोज़ क्यूँ करते हो तकरार?