।सरस्वती बंदना।
।सरस्वती बंदना।
जय हंसवाहिनी, वीना वादिनी, जय हो माॅ॑ वागीश्वरी।
जय हो माॅ॑ भारती, वरदायिनी, शतरुपा, भुवनेश्वरी।
विनती करूॅ॑ माॅ॑ भारती सत ज्ञान सबको दीजिए।
मन के अंधेरों को हे माता दूर तुम ही कीजिए।
हे वीना वादनी माॅ॑ झंकार वीना के तारों की करो।
चैतन्य मन हो जाय सबका सुर वीना में ऐसे भरो।
ज्ञान की गंगा को भर दो हे माॅ॑ वीणा वादनी।
फैलाए उजाला ज्ञान का वर दे दो माॅ॑ वरदायिनी।
कमल आसन की तरह कोमल सभी के भाव हों।
जल की तरंगों की तरह शीतल मन का बहाव हो।
धवल हंस की तरह मन में न हो कालिख कोई।
स्वच्छ चांदनी की तरह उज्जवल हो सब कोई।
न बंचित रहे कोई ज्ञान से ऐसी कृपा करो माॅ॑ शारदा।
ज्ञान का परचम धरा में फहराता रहे हे माॅ॑ सदा।
है ज्ञान दायिनी माता तुझको मेरा सत सत प्रणाम।
मन का तिमिर मिटाने वाली माता तुझको है प्रणाम।
