STORYMIRROR

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract

3  

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract

सृष्टिको पालनहारो

सृष्टिको पालनहारो

1 min
249

सृष्टिको पालनहारो, जगतको रखवारो,

रूप धर कान्हाको वू, पृथ्वीपर आयी से।


पुरो ब्रमांड जिनको, मुखमा समाय गयो,

नहानसो टोपलीमा, विधाता समायी से।


आय देवकीको लाल, अधर्मी कंसको काल,

मथुरालं वृंदावन, नंद घर आयी से।


वू रास रचैय्या कान्हा, वू बंसी बजैय्या कान्हा,

सप्पाई गोपीइनको, मनमा समायी से॥


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract