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PRATAP CHAUHAN

Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Inspirational

सृष्टि

सृष्टि

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सॄष्टि स्वरूप समागम नीरा ।

बिन माँगे मिल जाय समीरा ॥


अद्भुत पावन प्रखर शरीरा ।

जीवन सरस रखो रघुवीरा ॥


जीवन मेरा प्रभु पावन कर दो।

खुशियों से अब झोली भर दो॥


मैं हूं मुसाफिर एक अभागा।

जैसे एक गांठ पढ़ा हो धागा॥


सुखमय सरन प्रदान करो अब।

सुन लो सेवक विनती भगवन॥


सृष्टि के इस भंवर जाल से।

कर दो अब निश्छंद मेरा मन॥



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