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Priyanka Saxena

Abstract Inspirational

4.5  

Priyanka Saxena

Abstract Inspirational

सृष्टि सृजक भी, विध्वंसक भी !

सृष्टि सृजक भी, विध्वंसक भी !

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हलचल‌ पृथ्वी की भीतरी सतह से उभरी

तो संकेत है

पर्यावरण असंतुलन का !

भूकंप, भूचाल, जलजला,

क्या फर्क पड़ता है नाम से ?


तस्वीर तो भयावह है ना !

क्यों ना कंक्रीट के जंगल की जगह 

एक बार फिर से प्रकृति से नाता जोड़े ?

प्रकृति के प्राकृतिक रूप को संवारे ?

और संतुलन बनाएं रखें पर्यावरण का !

तभी मानव‌ सभ्यता का 

नामोनिशान रहेगा बचा यहां!

वरना तो बाकी भी ना रहेगा

वज़ूद हमारा!


हे मनुष्य!

समझ लो, जान लो,

सृष्टि से सृजन‌ है,

पर न भूलें कि 

अवहेलना की यदि सृष्टि की,

हस्ती मिटाने में देर 

सृष्टि क्षण भर भी नहीं लगाती है।


बर्दाश्त नहीं करती है, 

संतुलन से छेड़छाड़ !

सर्वनाश कर, पुनर्निर्माण करती है !

भागो नहीं कृत्रिमता के पीछे,‌ 

रखो संवारकर प्राकृतिक संसाधनों को !

सृष्टि सृजनकर्ता है, सृजक है

तो सृष्टि ही विध्वंसक भी !


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