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Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

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Dr. Akansha Rupa chachra

Tragedy

सरल जीवन

सरल जीवन

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सहजता थी, सादगी थी,बंदगी थी।

ये सोशल मीडिया और इंटरनेट नहीं था तो ज़िन्दगी थी

कच्चे घरों मे सच्चे दिल थे

बड़ी मौज मे कटती थी जिंदगी

नानी के घर मे मस्ती का आलम

भजन संध्या करते हुए सीखते अच्छे संस्कार हम

वो बिजली गुल होते ही हल्ला मचाते

छत पर बिस्तर लगाते फिर मस्ती मे मस्त होकर

अंताक्षरी गाते.....

माँ को खुश देखते हम जब वो

नानी से ढेरों बातें करती उनकी गोद मे सिर रख लेती।

माँ अपनी आँखों मे बचपन की यादें समेट लेती ।

पडोस वाले भी माँ को मिलने आते

रिश्तो की मिठास चारो और फैल जाती जब

माँ पडोसी को भी चाचा कह कर परिचय करवाती।

चवन्नी मिलती, नाना जी के पैर दबाने से।

खूब मजे से आइसक्रीम खाते मामा जी के लाने से

मौसी देती मक्खन वाले परांठे , दही,पकौडे

खाते हम

जिंदगी मे खेल कूद का मजा बड़ा ही न्यारा था।

कबूतरों को बाजरा खाते देख झूमते गाते थे।

तोते के संग गाते गाते देख नानू रटू

तोता कह के चिड़ाते थे।

नानी-दादी हमको कहानी सुना कर सुलाती थी।

पिताजी की सीख हमारा आत्म विश्वास बढ़ाती थी।

काश ! आज की पीढ़ी जिंदगी का वो स्वाद चख पाती।


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