सर्दी की बारिश
सर्दी की बारिश
सर्दी की बारिश ने यह कैसा हमको पैग़ाम दिया ।
उठा जाए ना बिस्तर से हमसे ऐसा जुक़ाम दिया ।।
गले में खराश थी और स्वास नली हो गई थी बन्द
तब मसाले वाली चाय ने हमें थोड़ा आराम दिया ।।
देना था तुम्हें सरप्राइज कुल्लू ,मनाली घुमा कर
पर नासाज़ तबीयत ने बिगाड़ सारा काम दिया ।।
सुर्ख सर्द हवाएं और ये बारिश ने परेशान किया
ख़ुशी के साथ-साथ हमें गर्दिश–ए-अय्याम दिया ।।
सर्दी की बारिश ने ऐसा मिजाज मौसम शाम दिया
सुकूँ सा मिला जब उन्होंने मुस्कुराकर जाम दिया ।।
हमने अपनी जाँ को किया इस तरह से इज़हार
भर दी उनकी सुनी माँग और अपना नाम दिया ।।
अब बारी थी उनकी इज़हार–ए-मुहब्बत करने की
उस पगली ने हमें गुलाब की जगह झंडू बाम दिया ।।