सपने हैं कहते जिंदगी की कहानी
सपने हैं कहते जिंदगी की कहानी
सपनों में हैं हम कुछ ऐसे खोए
कभी जागे रातों में कभी दिन में सोए
हर एक सपना है कहता नई कहानी
कभी होता है सच्चा तो कभी लगता फानी।
कभी है पड़ाव तो कभी रह गुज़र,
कभी साफ दिखता कभी ना आता नज़र
सपनों में ही है बीती मेरी जिंदगानी
लगती है जिंदगी सपनों की कहानी।
दिखाते हैं राहें सपने बन के रहबर,
कहां है ठिकाना है कैसी डगर,
सपनों में ही है देखी वो सारी निशानी,
आएगी मुश्किल या होगी आसानी।
सपनों में लगती जो दुनिया सच्ची,
असल नकल ना दिखाती आँखें वो कच्ची,
कभी सपनों से झांके बातें तूफानी,
कभी सपनों से हो बेबस ये जिंदगानी।
बेबसी में सपनों का ही है फ़िर आसरा,
हकीक़त और सपनों में है जरा सा फासला,
सपनों की असलियत है जिंदगी ने बतानी,
सपने तो कहते हैं जिंदगी की कहानी।