सोलमेट
सोलमेट
ये और बात है मुझ को तेरी कमी है
मगर तेरे बगैर भी ये दुनिया वही है।
क्यूँ मैं शिकवा करूँ तेरी बेवफ़ाई का
तेरी खुशी में ही तो मेरी भी खुशी है।
जब इज़हार ही नहीं तो, इकरार क्या
प्यार में दोनो तरफ़ बस खामोशी है।
दिल की बात रही दिल में ही महफ़ूज
दोनो की अपनी-अपनी ही मज़बूरी है।
मिलता नहीं है मुझ को आराम जहां में
मौत के साये पल रही मेरी ज़िंदगी है
फ़िर न बसा दिल में कोई तेरे बाद
अजय शायद इसे ही कहते बंदगी है।

