STORYMIRROR

Namrata Saran

Romance

4  

Namrata Saran

Romance

सोलह की उम्र

सोलह की उम्र

1 min
242

ये जो सोलह की

उम्र होती है न

बड़ी कमाल की होती है,


थोड़ी थोड़ी खट्टी

थोड़ी थोड़ी मीठी

थोड़ी थोड़ी कच्ची 

थोड़ी थोड़ी पक्की,


अधबुने ख्याल 

जो दिमाग से नहीं 

दिल से उपजते हैं

और गढ़ता रहता है

स्वप्निल संसार,


अधपके ख्वाबों की

सौंधी सौंधी खुशबू

महसूस होती है नींदों में भी,

सोते सोते लब मुस्कुराते हैं

उम्मीदों को पर मिल जाते हैं

बहकती दहलीज

साजों संभाल की होती है

ये जो सोलह की

उम्र होती है न

बड़े कमाल की होती है,,


कभी महफ़िल में भी

अकेली होती है

कभी तन्हाइयों में भी

रोशन महफ़िल होती है

कभी खुद से बात करती है

कभी खामोश रहती है

ऋतुऐं आती हैं

ऋतुऐ जाती हैं

हर मौसम में गुलाल सी रहती है

ये जो सोलह की

उम्र होती है न

बड़े कमाल की होती है!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance