सोज़ (अथाह पीड़ा)
सोज़ (अथाह पीड़ा)
मुझे सोज़ देता है, तेरा गम,
ऐ राह पे चलने वाले मुसाफिर,
इस गरम तपती सूरज की किरणों में,
तेरे पैरों की तलियों को तपता देख,
मेरा दिल यूं देहक गया,
क्यों इतना इम्तेहान तूने दिया,
शायद यह तेरी मेहनत है,
जिसमें इसको सहने की ताकत है,
अडिग तेरा विश्वास ही है,
वरना इन गर्म थपेड़ों में,
कैसे यह मुमकिन है,
तेरे चेहरे पर सुकून की खुशी यूं छाई है।
