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निशान्त मिश्र

Inspirational

5.0  

निशान्त मिश्र

Inspirational

सोचना पड़े जो राष्ट्रगान के लिए

सोचना पड़े जो राष्ट्रगान के लिए

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सोचना पड़े जो राष्ट्रगान के लिए

तो बोझ तो तुम पूरे हिन्दुस्तान के लिए

प्रेम जो नहीं वतन की आन के लिए

तो बोझ हो तुम पूरे हिन्दुस्तान के लिए


व्यक्ति राष्ट्र से है, राष्ट्र व्यक्ति से नहीं

गज कभी डरा, श्वान – अभिव्यक्ति से नहीं

नारे जो लगाए पाकिस्तान के लिए

तो बोझ हो तुम पूरे हिन्दुस्तान के लिए


शत्रु के गुणगान, जय, बखान के लिए

लिखते हो छद्म सम्मान के लिए

लिखा जो गलत, भारत महान के लिए

तो बोझ हो तुम पूरे हिन्दुस्तान क

े लिए


जन, गण, मन के ध्यान के लिए

देशप्रेम, देश के विधान के लिए

राष्ट्रगान, राष्ट्र – स्वाभिमान के लिए

रचा गया देश के सम्मान के लिए


स्वर्ग से भी ऊपर, इंसान के लिए

मातृभूमि, जिसकी आन बान के लिए

वीर जन्मते हैं, बलिदान के लिए

जन्मभूमि है जो भगवान् के लिए


ऐसी भूमि के स्वाभिमान के लिए

अपने ही देश के सम्मान के लिए

जड़ - बुद्धि, श्वान - मुख म्लान हो किये

तो बोझ हो तुम, धरती आसमान के लिए


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