सोचा था
सोचा था
सोचा था तुमसे भी दिल की किताब लूँगा
चाहत का अपनी गिन के हिसाब लूँगा
सोचा था तुमसे भी दिल की किताब लूँगा
सोचा था कभी तो तुमको प्यार होगा
तुमको भी मेरी आहट का इंतजार होगा
तब मैं तुम्हारी चाहत का इम्तहान लूँगा
सोचा था तुमसे भी दिल की किताब लूँगा
जितनी बार मैं मिटा हुँ सनम तुम्हारे प्यार में
जितनी बार मैं जला हुँ तपती इश्क की बयार में
उस बीते हुए हर पल का मजम्मत तमाम लूँगा
सोचा था तुमसे भी दिल की किताब लूँगा
मालूम ना था तुम युँ दिलफेंक सनम होगे
जो मर मिटा है खुद तुमपे उसकी ही जान लोगे
अब भूल कर भी ना सनम तुम्हारा नाम लूँगा
सोचा था तुमसे भी दिल की किताब लूँगा
सोचता हुँ अब कि क्युँ प्यार किया हमने
डरते थे हम जिससे सदा क्युँ यार किया हमने
क्या मैं भी अब औरों की तरह हाँथों में जाम लूँगा
सोचा था तुमसे भी दिल की किताब लूँगा।