सोच सदा आगे की रख
सोच सदा आगे की रख
सोच सदा आगे की रख,
पीछे का तो सब बीत गया,
ग़र हुआ नहीं ऐसा इस बार,
समझो फिर से कोई जीत गया।
धीमी ही तूने चाल रखी,
आगे निकल तेरा मीत गया,
वो खुशी के गाता गीत गया,
तिरा इक सपना फिर अतीत भया।
हाथों में तिरे कुछ न लगा,
वह फिर से दुःखातीत भया।
अब वक़्त हुआ आशातीत बन,
कुछ ऐसा नहीं जो छूट गया,
सोच सदा आगे की रख,
पीछे का तो सब बीत गया।