बढ़े कदम
बढ़े कदम
बढ़े कदम मंज़िल को पाने,
ढूढ़ने आगामी रसिकाने,
धैर्य अपशंक चित्त समाये,
उत्सुकता सहृदय लगाये,
अनुस्मृति स्वजन सीस बिठाये,
उत्तरदायित्व पीठ उठाये,
निकला मनुष्य प्रयास बढ़ाने,
बढ़े कदम मंज़िल को पाने।
दूर शहर अति दूर ठिकाना,
जो ठाना बस वही है पाना,
जटिल सफर उम्मीद बढ़ाये,
समर्पण विश्रृंभ जगमगाये,
तत्परता चौमुखी अधूमके,
सूर्य तेज़ लिए तन-मन चमके,
वही तेज़ यथार्थ कहलाने,
बढ़े कदम मंज़िल को पाने।