सनम
सनम
मेरी मुसकान में मुसकुरा न पाये
दुःख में क्या आँसू बहाओगे
मेरी होंठों से सारि मुसकान चुराके
बताओ क्या फायदा पाओगे।
जिस खुसिसे नाता जोडाथा
उस खुसिसे तोड लेना
तुम् जो किये थे उस कर्म को
अपने ही हाथों उखाड़ लेना।
ले जा .. जो दियाथा
लेकिन....
जोड़ते वक्त का नाता
तोड़ते वक्त भी रखना।
समझ ना पाये दिल की धड़कन
पहचान ना पाये मेरी मन
अजनबी बनकर रह लूंगी मैं
फिर भी कहूँगी सनम् समन।

