SPK Sachin Lodhi
Action Inspirational
नन्हा पौधा हुआ आजाद,
धरा की लिपटी मिट्टी से !
अभी तो उपजा आनंदित बीज,
रंग बिरंगी दुनिया में।
दुःख महसूस करना है;
इस जालिम दुनिया में !
धरा जलती है सूरज से,
पर वो तपन सहकर अडिग रहती।
💥फागुन आयो💥
प्रकृति की वे...
मातृभाषा हिन्...
⛳मातृभूमि⛳
तेरी बातों की...
गुरु सर्वस्व ...
गुरुओं की भूम...
मातृभाषा हिंद...
पिता सच्चा ही...
अपने अस्तित्व बचाने को, हथियार उठाना पड़ता है। अपने अस्तित्व बचाने को, हथियार उठाना पड़ता है।
मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम। मां भारती के वीर सपूतों को शत-शत प्रणाम।
देश हैं मेरा सर्वोपरि राष्ट्रधर्म सर्वोच्च है। देश हैं मेरा सर्वोपरि राष्ट्रधर्म सर्वोच्च है।
तो जाति, धर्म कहाँ से आया ? वैसे ही आँसू का कोई धर्म नहीं। तो जाति, धर्म कहाँ से आया ? वैसे ही आँसू का कोई धर्म नहीं।
एक के बदले सौ काटूंगा, या अपना शीश कटा दूंगा। एक के बदले सौ काटूंगा, या अपना शीश कटा दूंगा।
देश के गद्दारों को सबक सिखाना होगा लगता है हमें भी हथियार उठाना होगा। देश के गद्दारों को सबक सिखाना होगा लगता है हमें भी हथियार उठाना होगा।
खामोशी को तोड़ते हैं मुस्कराहट चेहरे पर लाते हैं हम। खामोशी को तोड़ते हैं मुस्कराहट चेहरे पर लाते हैं हम।
है धन्य भारत, है धन्य ये भूमि जिसकी मिट्टी के लाल हैं ये। है धन्य भारत, है धन्य ये भूमि जिसकी मिट्टी के लाल हैं ये।
मैं भावनाओ की रीढ़ हूं, मैं एक शहीद हूं। मैं भावनाओ की रीढ़ हूं, मैं एक शहीद हूं।
तेरे स्मारक होगी भारतवासियों के दिल में। तेरे स्मारक होगी भारतवासियों के दिल में।
अपने मित्रों के मनमंदिर में प्रेम का दीप जलना होगा ! अपने मित्रों के मनमंदिर में प्रेम का दीप जलना होगा !
जिस दिन मौन टूटा प्रलय का बुलावा खड़ा होगा तुम्हारे द्वार पर। जिस दिन मौन टूटा प्रलय का बुलावा खड़ा होगा तुम्हारे द्वार पर।
कर्म – खड्ग से भाग्य रक्ष का, चाक करूं अब सीना अनुचर, अनुगामी बन कर,अब और नहीं है जीना कर्म – खड्ग से भाग्य रक्ष का, चाक करूं अब सीना अनुचर, अनुगामी बन कर,अब और नही...
भारत जल्द ही कोरोनावायरस से मुक्त हो जाएं। भारत जल्द ही कोरोनावायरस से मुक्त हो जाएं।
चुप हम न बैठेंगे यही है हमारा पयाम भारत के वीर जवानों आपको करोड़ों सलाम। चुप हम न बैठेंगे यही है हमारा पयाम भारत के वीर जवानों आपको करोड़ों सलाम।
गया प्रभात, गई दुपहरिया हुई सुबह से शाम मन तू भजेगा कब, हरि नाम गया प्रभात, गई दुपहरिया हुई सुबह से शाम मन तू भजेगा कब, हरि नाम
ना भूले हम उन महा वीरों को, जो रहे हमारे कर्णधार हैं। ना भूले हम उन महा वीरों को, जो रहे हमारे कर्णधार हैं।
कीचड़ को कीचड़ ही भाता फिर वो पद्म कहां से लाता किन्तु पद्म की ऐसी धृति है कुंठित कीचड़ में उग आत... कीचड़ को कीचड़ ही भाता फिर वो पद्म कहां से लाता किन्तु पद्म की ऐसी धृति है कु...
गुजरे हुए लम्हों की किताब होगी खास। गुजरे हुए लम्हों की किताब होगी खास।
भारत मां के वीर सपूतों करो स्वीकार मेरा नमन। भारत मां के वीर सपूतों करो स्वीकार मेरा नमन।