धरा जलती है सूरज से, पर वो तपन सहकर अडिग रहती। धरा जलती है सूरज से, पर वो तपन सहकर अडिग रहती।
अँधेरा हो भले कितना, ये सूरज खिल ही जाता है। अँधेरा हो भले कितना, ये सूरज खिल ही जाता है।