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Gopal Agrawal

Abstract

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Gopal Agrawal

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संभल कर चलना

संभल कर चलना

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संभल कर चलना,

यह हादसों की बस्ती है,

यहां की चमचमाती सड़कों पर,

कभी हो जाते हैं,

चलते चलते ऐसे हादसे,

जिसमें वो लोग खो देते हैं

अपनी व अपनो की जान,

जो सही दिशा में चल रहे थे,

गलियों में खेलने वाले,

कई बच्चे हो जाते हैं

हमेशा के लिए,

विकलांग और बेसहारा,

इसका कारण है,

समझदार होकर भी,

कई लोग हो चुके आवारा,

जानकर भी बन जाते है अंजान

और वे ही आवारा लोग

सड़कों पर चलते उन,

निरीह प्राणियों को नहीं देखते,

जो सीधे सादे बेचारे अपनी राह पर,

मस्ती में धुन में चले जा रहे है,

वो आवारा एवं अन समझ लोग,

अपने मतलब के लिए,

वाहनो को ऐसे चलाते है,

मतलब तेज गति से हवा में उड़ाते है,

जब यह तेज गति से राह चलते,

लोगों के पास से  वाहन निकलते  है,

जिससे तकलीफ होती है,

हर उस शख्स को,

जो अपनी दिशा में चल रहा है,

वह डर जाता है, छीन लेता है उसकी,

जिन्दगी की मस्ती,

इसलिए कहलाने लगी है,

बदनाम बस्ती,

सड़को पर निकलने से पहले,

अपने आप को सुरक्षित करों,

क्योंकि, ये लोग नहीं सुधरेगें,

न ही कोई इन्हे सुधार सकता,

जब ये आवारा लोग,

किसी वाहन की चपेट में आएगें,

बिना बताए ही सब कुछ समझ जाएगें



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