Abha Chauhan

Abstract

4.8  

Abha Chauhan

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समय

समय

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मैं समय हूं, मैं समय हूं,

आगे बढ़ना है मेरा स्वभाव

निरंतर चलत जाना है मेरा काम।

यह काम कल करूंगा,

कहकर तुमने टाल दिया।

पकड़े गए तो समय नहीं मिला ,

कहकर दोष मेरे पे डाल दिया।

अपने आलस की वजह से तुमने सब कुछ खोया,

समय बीत जाने पर खाली हाथ रोया‌

मैंने तो तुम्हें कभी नहीं रोका,

मैंने कब किस को दिया धोखा।

समझो मेरे गति को,

मत भ्रष्ट करो अपनी मती को।

आज का काम कल पर ना डालो,

मेरी गति को पहचानो।

मैं कभी किसी के लिए नहीं रुकता

मेरे आगे है हर कोई झुकता।

मैं समय हूं , मैं समय हूं।



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