समय के आगे इंसान विवश
समय के आगे इंसान विवश
सदियों का फासला आ गया है जिन्दगी में
एक महामारी ने सारे शिकवे मिटा दिए
कहते रहे लोग जिन्दगी मे बहुुत मसरूफ रहते हैं।
अब बहाना ये कोरोना आ गया।
सिर्फ मतलबों के रिश्तेदार बनाये हमने
हर बार अपनों ने ही नीचा दिखाया हम को
सोच से भी परे सोचने को मजबूूर कियाअपनो ने।
महामारी ने सारे हक अदा कर दिये
ना मिलना ना मिलाना
ना छूना ना छूूूवाना
बस अपनी जिन्दगी से लोगो को निकालने पर मजबूूर हूए हम।
कुुछ पहले से ही थे कैद अपने ही मााया जाल में
अब महामारी ने सब के पैर बांध दिये।
बस थोड़ा दूर रहते है ।
अपनो की ससुरक्षित रखने को
बस प्रार्थना करते हर इंसान के लिए
आओ सब मिल के सुरक्षित रहने का प्रण लेेेेते हैं।
