समय आ गया है अब सुन लो ...
समय आ गया है अब सुन लो ...
अलग अलग संस्कृतियों वाला,
भारत विश्व का सार है।
इसको हर भाषा बोली से,
बेहद लाड़ दुलार है।।
माता इसकी धरती माँ है,
पिता विश्व ब्रम्हांड हैं।
प्रादेशिक भाषाएँ बहना,
हिन्दी बड़ी संतान है।।
कुछ लोगों ने भले आंग्ल को,
दिया मान सम्मान है।
लेकिन ह्रदय टटोल के देखो,
क्या उस पर अभिमान है ?
सर्व समृद्ध है हिन्दी भाषा,
विश्व में मान सम्मान है।
आयातित अंग्रेज़ी भाषा,
गहन कलंक समान है।।
माना तमिल,असमिया, उड़िया ,
उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी।
बोडो, मणिपुरी, मलयालम,
भी हैं अपने सहयोगी।।
माना सिन्धी, संथाली, नेपाली,
डोगरी, बांग्ला, गुजराती।
कोंकड़ी, तेलगू, पंजाबी,
सब भारत की हैं थाती।।
मैथिल की जननी संस्कृत है,
संस्कृत से बढ़ी मराठी है।
संस्कृत की गोदी में हिन्दी,
तिलक बनी है माथे की।।
लेकिन मत भूलो सम्मान की ,
राह देखती अवधी है।
बहुबोली भोजपुरी भी अब तक,
मानित होने से वंचित है।।
आठ दशक हो चले हैं अब तो,
राज्याभिषेक कराओ हिन्दी का,
समय आ गया है अब सुन लो,
अपमान मत करो हिन्दी का।।
अपमान मत करो हिन्दी का।।।
