स्मृतियों में तुम
स्मृतियों में तुम
मेरा मन बन गया
तेरी यादों का खंडहर
जहाँ गाहे बगाहे
तेरी यादों की
सरिता बहती है
कानों में चिड़ियों की
चहचहाहट
सुनाई पड़ती है
जब हम आँखें बंद कर
तेरी यादों में खोतें हैं
तुम और तुम्हारी यादें
साथ चलती है हमेशा
स्मृतियों की पगडंडी में
वो पल अक्सर चले आते हैं
जब शब्द खो गये थे थे
पर हमनें कहा
और तुमनें सुना भी
होंठ बंद ही रहे
शब्द खामोश ही रहे
पर तुम मेरे
और मैं तेरी हो गयी
सपना के सपनों में
आज भी स्मृतियों में
बस तुम ही हो
हाँ ! बस तुम ही हो हो ।