जब पत्तियां थीं, फूल थे पर सिर्फ मैं नही था तुम्हारी नोटबुक में चकित, विस्मित दरीचों की ओट से पढ... जब पत्तियां थीं, फूल थे पर सिर्फ मैं नही था तुम्हारी नोटबुक में चकित, विस्मित...
घर आंगन कितना सुहाता था मन, आज शहरों में एक बालकनी में सिमट रह जाता तन। घर आंगन कितना सुहाता था मन, आज शहरों में एक बालकनी में सिमट रह जाता तन।
बहुत याद आते हैं कभी हँसाते तो कभी रुलाते हैं, कभी गुदगुदाते याद आते हैं। बहुत याद आते हैं कभी हँसाते तो कभी रुलाते हैं, कभी गुदगुदाते याद आते हैं...
घृणा से दूर संपूर्ण साथ रहेंगे पूर्ण जीवन घृणा से दूर संपूर्ण साथ रहेंगे पूर्ण जीवन
अद्य पट मेरे मनस् का व्योम तारों से भरा है। अद्य पट मेरे मनस् का व्योम तारों से भरा है।
माँ जैसा अब इस जग में कोई, मुझको न प्यार है करने वाला! अपने भूखे भी सोकर माँ ने, रातों को मुझे दि... माँ जैसा अब इस जग में कोई, मुझको न प्यार है करने वाला! अपने भूखे भी सोकर माँ न...