pali kaur
Drama
अतीत प्यारा
यादों का झरोखा
स्मृति पटल।
कड़वी यादें
विस्मृत हो अतीत
उत्तम उपहार।
मीठी यादें
सुखमय अतीत
बने संबल।
हाइकु कविता
स्मृति पटल
करामात लेखन
हाइकु
हाइकु मुक्तक
माँ
दावत
ताश के घर-सा बारंबार बसाते-नेस्तनाबूद करते दिखते हैं... ताश के घर-सा बारंबार बसाते-नेस्तनाबूद करते दिखते हैं...
उनसे अच्छे तो, यहां पर प्राचीन पत्थर जो यहां पर मजबूत कर्म का देते, उनसे अच्छे तो, यहां पर प्राचीन पत्थर जो यहां पर मजबूत कर्म का देते,
दिल अब वैसे ही दर्द में बड़ा था जख्मी अपनों के शब्दों से ही तो दिल अब वैसे ही दर्द में बड़ा था जख्मी अपनों के शब्दों से ही तो
अपनी सखी सहेलियों के संग बिंदी लिपस्टिक लगाकर संवरना सजना। अपनी सखी सहेलियों के संग बिंदी लिपस्टिक लगाकर संवरना सजना।
जैसे सूर्य रोशनी मिटाती, तम खानदान वैसे सच्ची जुबां मिटाती, झूठ का निशान जैसे सूर्य रोशनी मिटाती, तम खानदान वैसे सच्ची जुबां मिटाती, झूठ का निशान
फिर संक्रांत उतार कर, शुभ काम करने के इशारे हो गए। फिर संक्रांत उतार कर, शुभ काम करने के इशारे हो गए।
बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा, तू बड़े लोग शीशे तोड़ते, अक्स के करा, झगड़े बुढ़ापे से पूर्व जवानी में हो जा, तू बड़े लोग शीशे तोड़ते, अक्स के करा, झगड़े
विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका थीम जिसकी है विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका थीम जिसकी है
दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ….. दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ…..
काम-क्रोध भी मेरे हृदय जगते, कुछ अनजाने में हो जाते पाप।। काम-क्रोध भी मेरे हृदय जगते, कुछ अनजाने में हो जाते पाप।।
पाप व्याभिचार यश अपयश कर्म अकर्म पाप व्याभिचार यश अपयश कर्म अकर्म
बिलों में छिपे हुए गद्दारों को खत्म करना है। देश के जयचंदों का अब फन कुचलना है। बिलों में छिपे हुए गद्दारों को खत्म करना है। देश के जयचंदों का अब फन कुचलना ह...
जब कोई किसी से जलन करता है। तो वही उसकी खुशियों का क़ातिल हो जाता है। जब कोई किसी से जलन करता है। तो वही उसकी खुशियों का क़ातिल हो जाता है।
जिसमे धर्म ख़ातिर, लड़ते योद्धा सब केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण ओर कंघा जिसमे धर्म ख़ातिर, लड़ते योद्धा सब केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण ओर कंघा
शहनाइयों का मधुर नाद बहाकर सनम, मैं तेरे स्वागत की तैयारी कर रहा हूं। शहनाइयों का मधुर नाद बहाकर सनम, मैं तेरे स्वागत की तैयारी कर रहा हूं।
मगर किसको मिलेगी ये तो समय ही बताएगा मगर किसको मिलेगी ये तो समय ही बताएगा
भीनी सी खुशबू खनक कर छन के आई थी, मानो कह रही थी बात कोई, भीनी सी खुशबू खनक कर छन के आई थी, मानो कह रही थी बात कोई,
सीता-राम मेरे हृदय बसते, दुनिया देखेगी आज भक्ति मेरी।। सीता-राम मेरे हृदय बसते, दुनिया देखेगी आज भक्ति मेरी।।
क्या था लोक लिहाज़, बंदिशों और बेड़ियों का दूजा नाम, क्या था लोक लिहाज़, बंदिशों और बेड़ियों का दूजा नाम,
किसी से भी न करो, नोंकझोंक समय को बना लो, अपना दोस्त किसी से भी न करो, नोंकझोंक समय को बना लो, अपना दोस्त