pali kaur
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गोधूलि बेला
अलसाये प्रकृति
सूरज मौन।
तपता सूर्य
विहल विरहिणी
ढूँढती छाँव।
प्रचंड रवि
व्याकुल कायनात
प्रकृति मौन।
हाइकु कविता
स्मृति पटल
करामात लेखन
हाइकु
हाइकु मुक्तक
माँ
दावत