pali kaur
Abstract
आत्मा आवाज
परमात्म की मौज
खिले जिंदगी ।
दिल कागज़
है प्रभुनांमाकित
जीवन पार।
कोरा कागज
प्रभु चरण छाप
सुखी जीवन ।
हाइकु कविता
स्मृति पटल
करामात लेखन
हाइकु
हाइकु मुक्तक
माँ
दावत
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का हर रोज गान है, फिर भी मानते बेटियों से बढ़कर बेटों की शान है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का हर रोज गान है, फिर भी मानते बेटियों से बढ़कर बेटों क...
गुरु द्रोण का पुत्र वही जिसका जीवन बिता कुछ ऐसे गुरु द्रोण का पुत्र वही जिसका जीवन बिता कुछ ऐसे
आज कहां कोई शिष्य गुरु के चरणों में शीश नवाता है आज कहां कोई शिष्य गुरु के चरणों में शीश नवाता है
स्वतंत्र भारत अभी भी दूर की कौड़ी सी ही लग रही है। स्वतंत्र भारत अभी भी दूर की कौड़ी सी ही लग रही है।
आसान नहीं, लांघना चौखट संस्कारों की, तो पहले संस्कारों की, शुरू पाठशाला हो जाए, आसान नहीं, लांघना चौखट संस्कारों की, तो पहले संस्कारों की, शुरू पाठशा...
और ये नारी हाँ यही नारी, बुराई का संहार भी कर जाएगी। और ये नारी हाँ यही नारी, बुराई का संहार भी कर जाएगी।
केवल और केवल भरत का भारत, हिंदुस्तान था।। “जय हों” हम फिर मिलेंगे, मिलते रहेंगे। केवल और केवल भरत का भारत, हिंदुस्तान था।। “जय हों” हम फिर मिलेंगे, मिलते रहे...
पहने ऐनक और हाथ छड़ी ,छवि बड़ी ही मनमोहक होती थी। पहने ऐनक और हाथ छड़ी ,छवि बड़ी ही मनमोहक होती थी।
उस बेटी की चीखों को राजनीति के शोर ने ही दबाया था। उस बेटी की चीखों को राजनीति के शोर ने ही दबाया था।
समय के साथ ही ये रस्म महज औपचारिक होकर रह गई। समय के साथ ही ये रस्म महज औपचारिक होकर रह गई।
एक आवाज आती अंतर से नहीं, कुछ बाकी है जो पाना है, थोड़ा और चल एक आवाज आती अंतर से नहीं, कुछ बाकी है जो पाना है, थोड़ा और चल
प्रभु भेजते नर रूप में गुरु को, जो कहलाते ब्रह्म ज्ञानी।। प्रभु भेजते नर रूप में गुरु को, जो कहलाते ब्रह्म ज्ञानी।।
मित्रता की क्या पहचान इस बात से हूँ अभी तक अंजान। मित्रता की क्या पहचान इस बात से हूँ अभी तक अंजान।
पर कहाँ मोरी निंदीया मेरे नैना रातें जागी। पर कहाँ मोरी निंदीया मेरे नैना रातें जागी।
विस्मृत हुआ दुर्योधन को हों भीमसेन या युधिष्ठिर, विस्मृत हुआ दुर्योधन को हों भीमसेन या युधिष्ठिर,
एक दोस्त मिलता है, तब होती है जिन्दगी की शुरूआत। एक दोस्त मिलता है, तब होती है जिन्दगी की शुरूआत।
एक अटल चट्टान की भांति टिका हुआ हूं, फिर भी लोग कहते है कि, समय बहुत बदला सा नजर आ एक अटल चट्टान की भांति टिका हुआ हूं, फिर भी लोग कहते है कि, समय बहुत बदल...
आज अपेक्षित योद्धा तुझसे कठिन लक्ष्य संधान का। आज अपेक्षित योद्धा तुझसे कठिन लक्ष्य संधान का।
बीमारी से लड़ता जीवन संग्राम बेरोजगार नौजवान।। बीमारी से लड़ता जीवन संग्राम बेरोजगार नौजवान।।
मन में विचार कौंधा .. सावन की बूंद और नारी ? नारी और सावन की बूँद ? मन में विचार कौंधा .. सावन की बूंद और नारी ? नारी और सावन की बूँद ?