समझ से परे है विदाई
समझ से परे है विदाई
कर चले मेरी महफ़िल को सूना
क्या खता हो गई आज मुझसे,
इस तरह क्यों चले जा रहे हो
क्या खता हो गई आज मुझसे।
जिंदगी भी समझ से परे है
समझ से परे है विदाई,
साथ रहते हैं, जीते हैं लेकिन
एक दिन छीन लेती विदाई।
दूर होना सभी को है लेकिन
कौन रोकेगा हृदय के गम को,
थाम लूंगा कलेजा स्वयं का
थाम पाउँगा मुश्किल से मन को।
