समझ और गलतफहमी।
समझ और गलतफहमी।
यह शिकायत आपको तकरीबन हर कहीं पर ही,
घर में, आस पड़ोस में, रिश्तेदारों में हर जगह पर ही।
सुनने को मिल जायेगी कि हमें कोई समझें नहीं,
क्या किसी को समझना बिल्कुल आसान नहीं।
जब घर, रिश्ते-नाते सब आपसी समझ पर टिके हुए,
यह भी सच है कि दूसरों को समझना एक कौशल।
ये वो कौशल होता है जो हर किसी के पास नहीं है,
किसी को अच्छे से समझना दोतरफा प्रक्रिया है।
लेकिन हमारी आदतें हमेशा एकतरफा ही होती है,
जो हम सुनना पसंद करते वही बात समझते हैं।
आपसी समझ की कमी की मूल वजह पूर्वाग्रह है,
इसकी कमी की मूल वजह पक्ष पाती स्वभाव भी।
हमारे सोचने का ढंग जो हमें दूसरे के दृष्टिकोण को,
सही तरीके से समझने से अक्सर रोकता आया।
जिसके कारण आपसी सम्बन्धों में टकराव होता,
समझ और गलतफहमी के बीच पतली रेखा है होती।
ऐसी रेखा को आपसी तालमेल से हमें समझना होगा,
नासमझी से ज़्यादा गलतफहमी से हमें ही हानि होगी।