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Niru Singh

Inspirational

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Niru Singh

Inspirational

समाज क्या है

समाज क्या है

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समाज क्या है... किससे है, तुमसे..

हम सबसे है,  या पुरुषों से ही है ये समाज? 

किसने बनाए इसके नियम क़ानून 

तुमने.. तुमने तुमने ..... या हमने.. !!

ये ना करो, वो ना करो, रोका -टोकी

लोग क्या कहेंगे.. क्यों इसकी लाज सिर्फ बेटियों को? 

महलों का सुख त्याग चली पति संग वन में

फिर भी उसे देनी पड़ी थी, अग्नि परीक्षा। 

 

बरसों बीते पर इतिहास ना बदला 

आज भी बेटियाँ छोड़ अपना आँगन

जलती दहेज की आग में...

रात अँधेरे ना निकलो घर के बाहर, 

रखो ढक के मुंह को परदे के अंदर.....।


बस बहुत हुआ.. 

बदलना है दौर.... बदल रहा है दौर 

पढ़ रही है बेटियाँ , अड़ रही है बेटियाँ, 

समाज से लड़ रहीं है बेटियाँ , 

हर पटल पर छा रही है बेटियांँ । 

हमसे है.... तुमसे है... ये समाज 

बेटियों का भी तो है ये समाज...। 



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