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Vishnu Saboo

Abstract Tragedy Inspirational

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Vishnu Saboo

Abstract Tragedy Inspirational

समाचार

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कोई चीखे भी तो ना सुनते लोग।

किसी की खामोशियाँ भी सुर्खी बटोर लेती है।।

मिलता है जहाँ मसाला खबर में।

वहाँ भीड़ भी सब ओर होती है।।

एक नन्ही जान जी ना सकी ।

उसके पिता के पास पैसा न था इलाज का।।

किसी ने नहीं इसपे अस्पताल को कोसा।

ना ही सरकार को आड़े हाथों लिया।।

क्योंकि उन्हें कोई "एंगल" ना मिला।

उस बच्ची में किसी " विशिष्ट" समाज का।।


एक फ़िल्मी सितारे के बच्चे का।

हर ब्यौरा था इन लोगों के पास।।

क्या खाया क्या पिया उसने।

कौनसा खिलौना है उसके पास।।

वो अक्सर इन्हें देख कर ।

तरह-तरह के मुंह बनाता है।।

पर इन लोगों को ।

उसमे भी बड़ा आनंद आता है।।

तस्वीरें लेने को उसकी ।

ये इस हद तक चले जाते है।।

कई बार उस बिगड़ैल की।

लात भी खा आते है।।


खबर के नाम पे हमें।

निष्पक्ष खबर नहीं मिलती।।

खबरों से ज्यादा तो इनपे।

विज्ञापनों को लड़ी लगती।।

झूठ को सच बनाकर ।

ऐसे परोसा जाने लगा है।।

इनके कारनामो से अब।

आम आदमी लगाअंगुली उठाने में ।।

विश्वास खो जाए उससे पहले।

विनती है तुम सुधर जाओ।।

जैसे अर्श पे बिठाया रातों-रात।

दो पल भी लगेंगे फर्श पे लाने में।।


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