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Soldier Aakash

Romance Tragedy

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Soldier Aakash

Romance Tragedy

सिर्फ तुम

सिर्फ तुम

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जब सोचूं तुम्हे गहराई से,

तो आंसु छलक जाते हैं।

जो साथ तुमने छोड़ा है,

वो गहरे घाव उभर आते है।


अब दिन क्या और रात क्या

सुबह क्या और शाम क्या

सब कुछ बैगाने लगते है

जब शब्द मेरे में बुनता हूं

कुछ अल्फ़ाज़ दीवाने लगते है


लौट आओ छोड़ दो ये नाराज़गी

हा मान ली मैने ये हार देखो

अब तो इन आंसुओ ने भी पराया कर दिया

तुम हाल ज़रा अब मेरा देखो


कब तक यू नाराज़ बैठे रहोगे

कभी तो वापस आना होगा

ये दिन भी अब ढलने आया है

फिर शाम को भी तो जाना होगा


जानता हूं मै

बुरा हूं मै

कुछ ताने मुझे तुम मार लेना

जब मन तुम्हारा भर जाए सबसे

ये पराये का मुखौटा तुम उतार लेना


अब मान भी जाओ ये नाराज़गी क्यूं है

तुम्हारे गुस्से में दिखती ये दीवानगी क्यूं है

लगता है कुछ याद आया होगा तुमको

मेरी हसी के पीछे का दर्द नज़र आया होगा तुमको


चलो मान लिया सारी गलतियां मेरी थी

पागल समझ के समझा दिया होता

तुम सुंदर हो मुझसे समझदार हो मुझसे

बेवकूफ ही समझ के मुझे अपना दिल खुद तुमने बहला लिया होता।


       


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