इस ठंड भरी हवाओं को छोड़ रातों में, कुछ इस तरह मोबाइल में डूबा था... इस ठंड भरी हवाओं को छोड़ रातों में, कुछ इस तरह मोबाइल में डूबा था...
ना जाने बचपन कहाँ खो गया, वो पल वो बीता समा ओझल हो गया,।। ना जाने बचपन कहाँ खो गया, वो पल वो बीता समा ओझल हो गया,।।
यूँ बस सजा, बस यह इल्तिजा बस यह इल्तिजा। यूँ बस सजा, बस यह इल्तिजा बस यह इल्तिजा।
इस फीकी तबस्सुम में लिपटे हुए हम कुछ खोने का ग़म कुछ पाने की आश में डूबे हुए हम। इस फीकी तबस्सुम में लिपटे हुए हम कुछ खोने का ग़म कुछ पाने की आश में डूबे हुए ह...