सिंदूर
सिंदूर
कल तक वो मेरा था।
मेरी आँखों पे उसकी मोहब्बत का पैहरा था।
वक़्त कुछ ऐसा बदला की वो मुझसे दूर हो गया।
और आज वो किसी और की मांग का सिंदूर हो गया।
इंतज़ार उसका में रोज़ करती थी।
उसकी मुश्कुराहट के लिए पूरी दुनिया से लड़ती थी।
किस्मत में जो लिखा था वो सब कुछ खो गया।
और आज वो किसी और की मांग का सिंदूर हो गया।
वो लम्हे जो साथ बिताये मुझे बहुत याद आते थे।
मुझे वो अपने साथ उस जहाँ ले जाते थे।
दूरिया कुछ ऐसी बड़ी के हर शक्श उस मोहब्बत का मोहताज हो गया।
और आज वो किसी और की मांग का सिंदूर हो गया।
दिल के टूटने की आवाज़ भी न हुई मेरी।
वो रास्तो पे बीते पलो की यादे आज भी है तेरी।
मेरा उसके साथ होने का सपना टूट के चूर हो गया।
और आज वो किसी और की मांग का सिंदूर हो गया।
जो कस्मे मेरे साथ रहने की खाई थी।
वो मोहब्बत जो सबसे जुड़ा हो कर जताई थी।
मुझे छोड़ वो किसी और की आँखों का नूर हो गया।
और आज वो किसी और की मांग का सिंदूर हो गया।
वो लम्हे जो साथ बिताये थे।
वो पल जो रूठने मानाने गवाए थे।
एक पल में मेरा सब कुछ ख़तम हो गया।
और आज वो किसी और की मांग का सिंदूर हो गया।