सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
नारी सहती दर्द को, हरदम होकर मूक
ताने तन को चीर दे, उठे कलेजे हूक।
उठे कलेजे हूक, सदा ही पिसती आई
सीता की परीक्षा, अग्नि फिर लेगी भाई।
कह भारती देगी, अग्नि परीक्षा बिचारी
सीता का सतीत्व, कब तक बचाये नारी।
