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अरुण कुमार

Romance

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अरुण कुमार

Romance

सीमा

सीमा

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मेरि नजरें क्या देखें सिवा तेरे,

मेरा ज़हन क्या सोचे सिवा तेरे,


दिल कि चाहत क्या हो तुझ्से बढ़कर,

मेरि तक़्दीर क्या हो सिवा तेरे।


यूँ तो जहाँ में हसीं कम नहीं,

दुआ मैं क्या मांगूँ सिवा तेरे।


मेरि हैसियत मेरा वजूद तुझ्से है,

और क्या हो सकूँगा सिवा तेरे।


सिवा तेरे ज़िंदगी कुछ नहीं,

मेरि भावनाओं की तू गरिमा है,


कैसे जा सकूँगा आगे तुझसे,

आख़िर तू मेरी “सीमा” है।


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