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shekhar kharadi

Tragedy

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shekhar kharadi

Tragedy

शवों का ढ़ेर

शवों का ढ़ेर

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हर तरफ़ खौफ़नाक ड़र है

शहर-गांव-कस्बे बदहाल हैं

घाट-घाट पर शवों का ढ़ेर है

रास्तें-गलियां सुनसान है

श्मशान में ट्राफिक जाम है

अपनों को खोना आम है

आंसुओं का बहना रोज़ है

दुःखो का झेलना ख़ास है

दवाओं का खुला व्यापार है

ओक्सिजन मिलना दुश्वार है

 पेशन्ट को बचाने का ढोंग है

मृत्यु को हराने झूठी जंग है।


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