शुकराना

शुकराना

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एहसान है दुश्मनों का

जो रोज़ सिखाते हैं

मैदान-ए-ज़िंदगी में

क़ायम रहने का सलीक़ा।


शुक्रिया उनका, राह में

जो काँटे बिछाते हैं

उन्ही की जानिब है सीखा

बच बच कर चलने का तरीक़ा।


एहतराम उनका, जो बंद

अपने दरवाज़े किए जाते हैं

उन्ही की बदौलत तो

मिला है नया दर किसी का।


सजदा उनका, जो बुरा

मुझको कहे जाते हैं

उन्हीं ने तो कराया

मुझे एहसास ख़ामियों का।।


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