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Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Others

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Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Others

( आह्लादित मन )

( आह्लादित मन )

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आम्र देख करके नेत्र मेरे

आह्लादित हो रहें हैं ।।


स्वप्न की अद्भुत ये बेला

द्वि हुए मन होकर अकेला

ज्ञात है दृष्टांत रस- ना

रसना बूंद टपक रहें हैं।।


रमणी क्या रमणीय ऐसे

लोचन बसा है आम्र जैसे

त्याग कर दूं जग को ऐसे

भाव उत्पात कर रहें हैं।


होता अगर विटप आंचल,

आह! कितने गुच्छ चंचल

मस्तिष्क के शाखाओं में,

विचार फलित हो रहें हैं।


आम्र देख करके नेत्र मेरे

आह्लादित हो रहें हैं ।।



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