हो पुरुष तो मर्यादा को खोजो हवस न मन में कभी सहेजो रंग गये हो क्यूँ उसके अंजन में ? उस रमणी के आलिंग... हो पुरुष तो मर्यादा को खोजो हवस न मन में कभी सहेजो रंग गये हो क्यूँ उसके अंजन मे...
पंक्तियों की प्रेरणा बेच दी जब जाती है, वह रमणी कोठे पर रात भर वीर्य से नहाती है। पंक्तियों की प्रेरणा बेच दी जब जाती है, वह रमणी कोठे पर रात भर वीर्य से नहात...
रमणी क्या रमणीय ऐसे लोचन बसा है आम्र जैसे रमणी क्या रमणीय ऐसे लोचन बसा है आम्र जैसे