शुभ बसंत
शुभ बसंत
बसंत आयो शुभ उमंग ले
बिखरायो रंग बासन्ती।
शीतल,तीक्ष्ण,मन्द वायु
नवप्राण देखो भरती।
नव पुष्प नव रंग बिखेरें
उड़ती पतंगें आसमा घेरें।
आये ऋतुराज बासन्ती
मोहक रूप है पंचतत्व का
फूली सरसों पीली, पीली
कर हेमन्त,शिशिर विदा
नवगन्ध पसारे बासन्ती।
वाग्देवी का जन्मदिवस है,
अभिनन्दन पुजारी निराला भी।
जन्मोत्सव द्वय पूज्य,पुजारी
मने जन्मोत्सव बहुरंगी।
शबरी बेर राम ने खायो
दिन वही पंचमी वासन्ती
मथुरा मेला दुर्वासा का
खुला बिहारी कक्ष वासन्ती।
मेले झूले मन हैं फूले
फागुन लायो वासन्ती
टेसुवन रंग भरे पिचकारी
श्याम चलायो रंगे चुनरी
चुनर के संग मन भी रांगे
बलि-बलि जाऊँ बासन्ती।
