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शत्रु का नाश

शत्रु का नाश

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शत्रु का नाश सर्वप्रथम अग्रिमता

इतनी रखो दिल में हाम और क्षमता

नहीं तो फिर खानी पड़े खता

और खोना पड़े ताज और सत्ता।  

 

सांप का भरोसा नहीं करना

उसके फनो को है कुचलना

नहीं देना कोई मौक़ा पलटके वार करने का

नहीं तो आ जाएगा मौक़ा मरने का।

 

आज का काम आज ही करना

कल का भरोसा आज नहीं करना

कल की कल देखी जायेगी

आज की सुबह बड़े शोर से मनाई जाएगी।

 

मीठे बोल का अनुमान नहीं करना

उसका मकसद होगा बाद में अपमान करना

an>धीरे से सर को कलम करना

और सलाम करके छू हो जाना।

 

में कोई संत और सयाना नहीं

पर बचकाना हरकत कभी नहीं

हर बोल का तौल ज़रूर होगा 

पलटवार अंतिम और आखिरी वार होगा।

 

एक बात का ख्याल हमेशा रखो

शत्रु के शत्रु को दोस्त बनाके रखो

मुश्किल समय में हुकम का इक्का साबित होगा

हार को समय आनेपर जीत में पलट देगा। 

 

ना रखो किसी का एहसान

देवा से कभी ना रहो परेशान

चुकाते रहो सही वक्त पर

दुश्मन को भी बधाई दो किसी नज़दीकी की मौत पर। 


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