शत-शत प्रणाम
शत-शत प्रणाम


वीर शहीदों को मेरा शत-शत प्रणाम।
जिन्होंने दिए संसद को नवीन आयाम।।
हमारा भारत देश है उनका पावन धाम।
सदा संसार में ऊँचा रहेगा उनका शुभ नाम।।
देश की सच्ची सेवा करना था बस उनका काम।
हर शत्रु का कर देते थे मिलकर वो काम तमाम।।
बच्चों को भी सुनाते हैं गाथा उनकी हम सुबह-शाम।
ऐसे वीर जवानों को तहे दिल से मेरी राम-राम-राम।।
जान की बाजी लगाने में कभी पीछे नहीं वे हटते।
निडर होकर
आगे बढ़ते और हर सीमा पर डटते।।
एक और एक ग्यारह बनकर उन्होंने मोर्चे संभाले।
बेवजह के विचार अपने भीतर कभी नहीं थे पाले।।
आज की पीढ़ी को हमें भी यह समझाना है।
उन शहीद वीरों को पुनः लौट कर आना है।।
माना कि मदमस्त ज़माना है पर सभी को यह समझाना है।
हिंदुस्तान की पुण्य धरा पर फिर से गुलिस्तां खिलाना है।।
देश प्रेम की ज्वाला को निरंतर बढ़ते जाना है।
अरि को मार गिराने हेतु हरि के गुण गाना है।।