Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Om Prakash Gupta

Inspirational

4  

Om Prakash Gupta

Inspirational

क्या निकलेगा ऐसा नवनीत?

क्या निकलेगा ऐसा नवनीत?

1 min
596


सागर तनया लक्ष्मी पयनिधि में बैठी सोच रही है,

युग दर युग बीत चुके , क्रांति फिर कब हो रही है,

चौदह रत्न निकले मंथन से,वे पल हो गये अतीत,

अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।१।


त्रेता में रावण जन्मा,वो राजमद में अंधा रहता था,

उसके दर्प को दबा, हनुमान ने लंका जलाया था,

बुराई समक्ष पद रोपा अंगद ने, हुई भले की जीत,

अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।२।


पद लोभ में कौरव ने स्वजनों से दुर्व्यवहार किया,

त्रेता में हरि जन्मे, फिर पार्थ को गीता ज्ञान दिया,

सब छली अनीत मारे गए, हो गई सत्य की जीत,

अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।३।


तीसरे विश्व युद्ध में जब ,अणु से अणु टकरायेगा,

महाप्रलय से धरती क्या, यह अम्बर भी थर्रायेगा,

दुर्बुद्धि खड़ी कर रही क्यों,जल में बालू की भीत,

अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।४।


मानव हृदय बदलना है, उनमें मुस्कान भरना है,

ये जग दुखों से भरा पडा,हल तो निश्चय करना है,

मनुजता फूले फले धरा पर नये सूत्र से गुथे प्रीत,

अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।५।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational