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Om Prakash Gupta

Others

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Om Prakash Gupta

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ज़माने गुज़र गये

ज़माने गुज़र गये

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 वो बीती बातें,वो झूमती बरसातें,

 दिल में बसी हैं वो हसरतें हुलासें,

 साफगोई से फिर मिलना मिलाना,

 रुसवाई में उनसे, वो नजरें चुराना,

 बहती पुरवाइया में परिंदे इतरा गये

 खूब याद आते जो जमाने गुजर गये।1।

 

 नहीं भूलता म्युनिसिपल का स्कूल,

 जहां खेलने पढ़ने में मैं था मसगूल,

 पेन की नली में इंक भरने का मजा,

 छिड़कने पे गुरू जी फिर देते सजा,

 दिल बैठ जाता देख वीरान बिल्डिंग,

 खिड़की से देखा ,कमरे की सीलिंग।2।

  

 मन होता है बैठूं उस पेड़ की छांव में,

 पेड़ों पर चढ़ तोड आम उस गांव में,

 रेत भरके उछाल लूं मुट्ठियों में लेकर,

 मिट्टी के दीवार से लग, होऊं दीवाना

 बहुत याद आता है, वो गुजरा जमाना।3।

  

  


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