जब कभी रहोगे, गुमसुम
जब कभी रहोगे, गुमसुम
इन फूलों की महक, चिड़ियों की चहक,
भौरों की भनक, इन चूड़ियों की खनक,
नाज़ुक हथेली में रची, मेंहदी की ख़ुशबू,
औ सोंधी सोंधी माटी से, रची बसी ये भू,
है ये भी दौड़ जिंदगी की,इसे भूलो न तुम,
दिल में छिपा के रखना, कहीं भी रहो तुम,
हंसायेंगी सदा ये,जब कभी रहोगे गुमसुम।१।
माथे का रोली चंदन, राह के वे अभिनंदन,
रक्षा से सजे बंधन,उन विदाई के वे क्रंदन,
गुस्से में छिपा प्यार, जननी का वह दुलार,
सितार का गुंजार,पायल का वह झनकार,
हवाओं की वो सिहरन,धरा का ये रुनझुन,
हंसायेगी सदा ये, जब कभी रहोगे गुमसुम।२।
