हँसता है आईना
हँसता है आईना
हँसता है आईना........
हर उस शख्श की शख्सियत पर
आता है आदमी मेरे सामने बार-बार
इतराता है आदमी तेवर बदल-बदलकर
कहता है आईना........
चेहरे किसी क्रीम पाउडर से नहीं
बल्कि अपनी काबलियत से चमकते हैं
कहता है आईना........
किस रूप पर इतराता है ऐ आदमी
पता नहीं है तुझको
वो दिन कौन सा होगा जब तेरी
आत्मा लिबास बदलेगी
हँसता है आईना.........
अब भी सँभल जा,कुछ कर ऐसा
की याद रखें लोग तेरी काबलियत को
तेरे नकली रूप रंग को नहीं
हँसता है आईना........।