*बढ़ चल तू सफलता की ओर *
*बढ़ चल तू सफलता की ओर *
डर ही गिराता ,
डर ही उठाता I
डर है असफलता ,
का भाग्य विधाता I
डर है ठोकर ,
डर है मरहम I
डर है मीत ,
डर है हमदम I
डर है धूप ,
डर है छाया I
डर में सारा,
संसार समाया I
डर है मौन,
डर है वाणी I
डर में है छूपी,
सफलता की कहानी I
डर है भय का रूप ,
विकृत औ कुरूप I
जीत जो जाते डर से,
बदल जाता उनका स्वरूप I
डर है अच्छा ,
डर है सच्चा I
डर तो है एक,
छोटा सा बच्चा I
डर डराये तब तक,
जब तक मन कमज़ोर I
खुद पर रख विश्वास,
आत्मविश्वास को बना ले डोर I
हर युद्ध तू जीतेगा जब चलेगा तू ,
भय से निर्भय की ओर I
साहस औ हिम्मत को बना हथियार,
बढ़ चल तू सफलता की ओर I
बढ़ चल तू सफलता .........।