बदलाव हीं शाश्वत हैं
बदलाव हीं शाश्वत हैं
समय बदलता है
बदलते रहना
इसका स्वभाव में है
समय के साथ
सब कुछ बदलता है
रिश्ता का रूप रंग और
रिश्ते की परिभाषा भी
बदलते रहते है
समर्पण और प्रेम संबंध
समय के साथ
बदलते रहते है
बदलाव प्रकृति का
नियम है
ऐसी बदलाव के क्रम में
सारी सृष्टि है
जो आज दुश्मन है
कल दोस्त हो सकता है
इसके उलट
जो दोस्त है
दुश्मन हो जाता है
प्रेम के भी रूप रंग और
ढंग बदलते है
दांपत्य प्रेम
वात्सल्य प्रेम
मातृत्व प्रेम
रिश्तों के प्रति
अपने धर्म
सबकुछ बदल रहें हैं
ना ही समय ठहराता है
ना ही बदलाव रुकता हैं
यह अनवरत जारी हैं